एंग्लिकन चर्च ऑफ़ इंडिया एक ऑटोनोमस धार्मिक संस्था है, जो की आलमगीर ट्रेडिशनल एंग्लिकन कम्यूनियन का हिस्सा है.
एंग्लिकन चर्च ऑफ़ इंडिया द्वारा चर्च ऑफ़ इंग्लॅण्ड की पुरानी रस्मो और विधियों को अपने ववहार में लाती है. तथा प्रभु यीशु मसीह द्वारा अपने शागिर्दों के साथ व्यव्हार में लाये पूरा करती है, यही करण है पादरी और बिशप बनाते समय योग्य पुरुषों का ही चुनाव करती है.
एंग्लिकन चर्च के अनुयायी निम्न व्यवस्थाओं को व्यव्हार में लाते हैं:
१. धरमशास्त्र बाइबिल को पूर्ण रूप से अपनाते हैं.
२. आराधना-प्रार्थना के लिए एंग्लिकन नमाज़ की किताब का इस्तेमाल करते हैं.३.एंग्लिकन कंस्टीटूशन, कैनन एवं रूल्स के अनुसार व्यव्हार करते हैं.
४. एंग्लिकन सदसियों को एंग्लिकन ऑरडएंड पादरी द्वारा बपतिस्मा लेना अनिवार्य होता है.
५. बालिग़ होने पर एंग्लिकन कंसेक्रेटेड बिशप द्वारा दृढ़ीकरण (कन्फर्मेशन) करना अनिवार्य होता है.
६. बिशप बनने के लिए धर्मशारत्र के १ टिमोथी ३:१ में जो लिखा उसका पालन अनिवार्य है जो इस प्रकार हैं:
७. बिशप तथा मेट्रोपोलिटन का चुनाव कंस्टीटूशन, केनन एवं रूल्स के चैप्टर ८ केअनुसार होता है तथा चैप्टर ९ के अनुसार पदासीन किया जाता है.
८. एंग्लिकन चर्च को संचालित करने के लिए इसकी संपत्ति, हस्पताल, शैक्षिक संस्थाएं जो एंग्लिकन समाज के लिए खास तौर से हैं, उनका सञ्चालन सर्वोच्च जनरल कौंसिल द्वारा किया या निर्देशित किया जाता है. जिसका विवरण व् गठन कंस्टीटूशन, कैनन एवं रूल्स के चैप्टर 28 द्वारा होता है. इसमें जनरल कॉउंसिल के सभापति अयध्यक्ष मेट्रोपोलिटन बिशप ही होते हैं, जो वर्तमान में आर्चबिशप सैमुएल पीटर प्रकाश जी हैं.उत्तरप्रदेश के लिए लखनऊ डाइसिसिअन ट्रस्ट एसोसिएशन के द्वारा चर्च की संपत्ति एवं संस्थाओं की देख रेख की जाती है, इसके अध्यक्ष डाइसेस के बिशप हैं.
९. एंग्लिकन चर्च के नाम पर कुछ तथाकथित लोग अपने को एंग्लिकन के बिशप व् मेट्रोपोलिटन बता कर एवं चर्च व् उसकी संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा करके समाज को एवं पदाधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं. इस सम्बन्ध में बहुत से केस विभिन अदालतों में लम्भित हैं.
१० . अल्लाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा केस # ८०८ में एंग्लिकन चर्च के पक्ष में निर्द्नेय दिया गया जिसके अनुसार आर्चबिशप सैमुएल पीटर प्रकाश की अध्यक्षता में संत एंड्रूस इण्टर कॉलेज गोरखपुर की गवर्निंग बॉडी की मीटिंग जिसमे CNI के बिशप स्टीफेन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो डिसमिस कर दी गयी. यूनियन में शामिल चर्चों की संपत्ति एवं शिक्षण संस्थाओं के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायलय ने CNI के विरुद्ध ८८००-८८०१, ३० सितम्बर २०१३ को पारित, जिसके अनुसार CNI को संस्थाओं एवं संपत्ति से अलग किया गया है.
Yours in Christ
Archbishop Samuel P. Prakash
Acting Primate TAC
Metropolitan of Anglican Church of India (C.I.P.B.C)